॥श्री साईं बाबा जी के व्रत के नियम॥
श्री साईं बाबा का व्रत स्त्री,पुरुष और बच्चे सभी कर सकते है! यह व्रत किसी भी जाती का व्यक्ति कर सकता है! यह व्रत बहुत ही चमत्कारी व्रत है! साईं बाबा के 5,9,11,या 21 व्रत करने से अवश्य ही मन चाहा फल प्राप्त होता है! इस व्रत को श्री साईं बाबा का नाम लेकर किसी भी गुरुवार को प्रारंभ किया जा सकता है! जिस कार्य के लिए व्रत करना हो उसके लिए साईं बाबा जी की सच्चे मन से प्रार्थना करनी चाहिए! श्री साईं बाबा का व्रत करते समय मन में किसी के लिए भी छल,कपट व इर्षा नहीं रखनी चाहिए और किसी की बुराई भी नहीं करनी चाहिए! श्री साईं बाबा की पूजा करने के लिए सबसे पहले किसी आसन पर पीला कपडा बिछा लेना चाहिए! उसके पश्चात् उस आसन पर श्री साईं बाबा की मूर्ती या फोटो रख कर स्वच्छ जल से स्नान करा कर या साईं बाबा की फोटो को पोछ कर चन्दन या कुमकुम का तिलक करना चाहिए और पीले फूल या हार चढाकर भोग लगाना चाहिए! भोग में किसी भी फल या मिठाई का प्रयोग किया जा सकता है! उसके पश्चात साईं बाबा जी कथा,साईं चालीसा,साईं स्मरण,साईं वावनी,तथा साईं कवच आदि का पाठ करना चाहिए और अंत में साईं बाबा की आरती करके प्रसाद सभी लोगो में बाँट देना चाहिए! और अगर संभव हो तो साईं मंदिर जा कर साईं बाबा के दर्शन करना चाहिए! यह व्रत दूध,चाय,मिठाई,फल या एक समय भोजन करके किया जा सकता है! अगर किसी कारणवश किसी गुरुवार को कही जाना पड़े तब भी व्रत को नियमानुसार सुचारू रूप से करना चाहिए! अगर किसी कारणवश किसी गुरुवार को व्रत न कर पाए तो उस गुरुवार को गिनती में न लेते हुए मन में किसी प्रकार की शंका न रखते हुए,अगले गुरुवार से व्रत जारी रखना चाहिए! जब गुरुवार पूरे हो जाये तब व्रत का उद्यापन करें! एक बार मन्नत अनुसार व्रत पूर्ण करने के बाद आप दुबारा से व्रत आरम्भ कर सकते है
उद्यापन विधि-
अंतिम गुरुवार को उद्यापन करना चाहिए! इसमें अपनी श्रद्धा अनुसार गरीबो को भोजन कराना चाहिए तथा साईं बाबा की 5,7,11,21,51 या 101 किताबें भेंट करनी चाहिए जिससे साईं बाबा की महिमा का प्रचार-प्रसार हो सके! किताबों को पहले पूजा में रखना चाहिए उनपर तिलक आदि करके उन्हें सगे-सम्बन्धियों में भेंट केर देनी चाहिए! जिससे सभी को साईं बाबा के चमत्कार का ज्ञान हो और उनकी भी मनोकामना पूर्ण हो सके! अगर कोई व्यक्ति उपरोक्त विधि से व्रत करता है तो साईं बाबा उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करती है!
साईं व्रत कथा-
कोकिला बहिन और उनके पति महेश भाई शहर में रहते थे! दोनों का एक-दूसरे के प्रति बड़ा प्रेम-भाव था! परन्तु महेश भाई का स्वभाव थोडा कठोर था! उन्हें शायद बोलने का ढंग न आता था! अड़ोशी-पड़ोशी उनके स्वभाव से परेशान रहते थे! लेकिन कोकिला बहिन बहुत ही धार्मिक स्वभाव की स्त्री थी! वह भगवान् में अतयंत विश्वास रखती थी और बिना कुछ कहे सब कुछ चुप-चाप सह लेती थी! धीरे-धीरे उनके पति का रोजगार ठप होता गया! कुछ भी कमाई नहीं होती थी! महेश भाई अब सारे दिन घर पर ही रहने लगे और गलत राह भी पकड़ ली थी! अब उनका स्वभाव पहले से और अधिक चिडचिडा हो गया था!
दोपहर का समय था एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर भिक्षा मांगने आये! उनके चेहरे पर अदभुत तेज था! उन्होंने कोकिला बहिन से दाल चावल की मांग की! कोकिला बहिन ने साधू महाराज को दाल चावल लाकर दिए और उन्हें प्रणाम किया! साधू महाराज ने कोकिला बहिन को साईं सदा सुखी रखे का आशीर्वाद दिया! तब कोकिला बहिन ने कहा महाराज सुख अपनी किस्मत में कहाँ और अपने दुखी जीवन की सारी कहानी कह डाली! तब साधू महाराज ने साईं बाबा के 9 गुरुवार व्रत के बारे में कोकिला बहिन को बताया! साईं बाबा की ९ गुरुवार पूजा करना,एक समय भोजन या फलाहार करना,अगर हो सके तो साईं बाबा के मंदिर जाना,विधिवध उद्यापन करना,भूखों को भोजन कराना,और यथाशक्ति साईं बाबा की 5,7,11,21,51,या 101 पुस्तकें भेंट करना! साईं बाबा तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूरी करेंगे! कोकिला बहिन ने भी अगले गुरुवार से व्रत प्रारंभ किया! अंतिम गुरुवार को गरीबों को भोजन कराया और पुस्तकें भेंट की! इससे उनके घर के झगडे दूर हो गए! घर में बहुत शांति रहने लगी! महेश भाई के स्वभाव में भी आश्चर्यजनक बदलाव आने लगा था! उनका रोजगार फिर से चलने लगा! कुछ ही दिनों में उनके दुःख दूर हो गए और वो सुखी जीवन व्यतीत करने लगे!
एक दिन कोकिला बहिन के जेठ-जेठानी उनसे मिलने आये और बातों ही बातों में उन्होंने बताया कि उनके बच्चे पढाई नहीं करते दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे है! परीक्षा में भी फेल हो गए है! तब कोकिला बहिन ने उन्हें गुरुवार के व्रत के बारे में बताया! और कहा की साईं बाबा के आशीर्वाद से बच्चे अच्छी तरह पढ़ पायेगे और कहना भी मानेंगे! पर उनपर पूर्णरूप से श्रद्धा व विश्वास रखना जरूरी है! साईं बाबा सबकी सहायता करते है! तो उनकी जेठानी ने कोकिला बहिन से व्रत की विधि पूछी! कोकिला बहिन ने उन्हें साईं व्रत की पूरी विधि बताई और कहा की यह व्रत स्त्री,पुरुष एवं बच्चे सभी कर सकते है! कुछ दिन बाद उनकी जेठानी का पत्र आया कि उनके बच्चे साईं बाबा की कृपा से पढने लगे है! और परीक्षा में अब्बल भी आये है! उन्होंने पुस्तके अपनी सहेलियों और जेठ के मित्रो को भेंट की जिससे उनकी लड़की की शादी भी साईं बाबा की कृपा से हो गई जिसकी वजह से उनकी सहेली बहुत दिनों से परेशान थी!
सभी समझ गए थे साईं बाबा की महिमा महान है! साईं बाबा जैसे आप सब पर प्रसन्न होते है वैसे हम पर भी होना और अपनी कृपा बनाये रखना! साईं बाबा की जय!