॥ श्री साईं वन्दना ॥
में जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ ,जैसे जल में कमल का फूल रहे!
मेरे अवगुण दोष समर्पित है,साईं नाथ तुम्हारे चरणों में!! अब सौंप दिया....
मेरा निश्चय है बस एक यही,एक बार तुम्हे पा जाऊ में!
अर्पित कर दूं दुनिया भर का,सब प्यार तुम्हारे चरणों में!! अब सौंप दिया....
जब-जब मुझे मानव का जन्म मिले,तब-तब तेरी चरणों का पुजारी बनूं!
इस सेवक की एक-एक रग का ,हो तार तुम्हारे हाथों में !! अब सौंप दिया...
हम में -तुम में बस भेद यही,में नर हूँ तुम नारायण हो!
में हूँ संसार के हाथों में,संसार तुम्हारे हाथों में!! अब सौंप दिया..