॥ साई कवच ॥
सदगुरु साई मुझे शक्ति दो, करुँ मैं तेरा ध्यान ।
विनती सुन लो, मुझ को दे दो चरणों में स्थान ॥…..(1)
अंतर्मन के सिंहासन पर बैठो दयानिधान ।
बीते कितने जनम व्यर्थ ही अब कर दो कल्याण ॥…..(2)
श्रद्धा-सबुरी ही हो मेरी भक्ति का आधार ।
ज्ञानरश्मि दो और मिटा दो अंतस का अंधियार ॥…..(3)
लक्ष्मी बनकर भर दो मेरा खाली घर-भण्डार ।
बनकर राम संयमित कर दो वाणी और व्यवहार ॥…..(4)
षडरिपुओं का शमन करो मेटो बाधा-व्यवधान ।
रोग-शोक को हर लो साई दो सुख का वरदान ॥…..(5)
शरण तुम्हारी आया हूँ कर दो जीवन आसान ।
कृपा करके पूरा कर दो मुक्ति का अरमान ॥…..(6)
तुम हो अंतर्यामी साई समझो मन के भाव ।
पूरा कर दो पूर्व कर्म का बाकी बचा हिसाब ॥…..(7)
भक्तों के वत्सल हो साई, मेटो सकल अभाव ।
चित्त शुद्ध कर दो, मुझको दो अपना परम स्वभाव ॥…..(8)
प्रेमपूर्णता, करुणामयता, निश्छलता दो साई ।
दयाभाव दो, क्षमाभाव दो, विनम्रता दो साई ॥…..(9)
बल-सम्बल दो, संतृप्ति दो, निर्भयता दो साई ।
सच्चाई, ईमान, मधुरता अरु समता दो साई ॥…..(10)
ज्योतिपुंज हो, ज्योतित कर दो अंतस का आकाश ।
हर लो सारी चिंता, हर पल दो अपना एहसास ॥…..(11)
सारे पूज्य स्वरुप तुम्हारे ही स्वरुप हैं साई ।
सिरजनहार सकल सृष्टि का एक तुम्हीं हो साई ॥…..(12)
शांति, परमसुख, शुभाशीष और कृपादृष्टि दो साई ।
साई कवच को उर्जा से भरपूर बना दो साई ॥…..(13)
गाये जो “श्री साई कवच” वो पाये तेरी सुरक्षा ।
कठिन समय में भी उसकी पूरी हो जाये इच्छा ॥…..(14)
धन–सन्तति–सम्मान–सुयश सब सहज प्राप्त हो साई ।
हर दिन सुखमय, सारा जीवन मंगलमय हो साई ॥…..(15)
श्रधा से तेरी महिमा जो भी दोहराये साई ।
उस पर दया दिखाना उसका दुख हर लेना साई ॥…..(16)
सच्ची राह दिखाना साई अनुप्रेरित भी करना ।
भूल क्षमा कर देना साई रहम नजर भी करना ॥…..(17)
हर पल तुमको याद करुँ और नमन करुँ मैं साई ।
भक्तिभाव से तव चरणों में करुँ समर्पण साई ॥…..(18)
॥ ऊँ श्री साई ॥